UP News: संगमनगरी के युवा ने डिजाइन की देश की पहली सुपर इलेक्ट्रिक कार, एक बार चार्ज करने पर 200 किमी तक चलेगी

Thunder Electric car In Prayagraj: संगमनगरी के युवा ने देश की पहली सुपर इलेक्ट्रिक कार डिजाइन की है। थंडर नाम वाली कार बनाने में सिर्फ 16 लाख खर्च हुए हैं। सर्वाधिक सस्ती सुपर कार होने का दावा है। बीटेक की पढ़ाई छोड़कर अभिषेक वैराग्य कार बनाने में जुट गए। चार साल में कार बनाकर पेश की है।

Affordable EV In India: संगमनगरी के एक युवा ने देश की पहली इलेक्ट्रिक सुपर कार डिजाइन की है। थंडर नाम वाली इस कार के प्रोटोटाइप की लागत 16 लाख रुपये आई है। 80 किमी प्रति घंटा दौड़ने वाली इस मॉडल कार की असल रफ्तार 250 किमी प्रति घंटा तक जाएगी।

यह दुनिया की सबसे सस्ती सुपर कार होना का दावा भी है। इस कार का बाजार मूल्य 50 लाख तक रहने की संभावना है। मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआईटी) के इनोवेशन एवं इंक्यूबेशन हब और कॅश क्राई की ओर से दो दिवसीय स्टार्टअप समिट में शहर के अशोकनगर निवासी अभिषेक वैराग्य की डिजाइन सुपर कार ने टेक्नोक्रेट ही नहीं, कार निर्माता कंपनियों का भी ध्यान खींचा।

देश की पहली सुपर कार के मॉडल रूप को देखकर दूसरी कंपनियों के प्रमोटर भी तकनीकी बारीकियों समझते-पूछते रहे। थंडर नाम की इस कार को डिजाइन करने वाले अभिषेक ने अपनी कंपनी का नाम एवी आटोमोटिव्स रखा है।

वह बताते हैं कि एक बार चार्ज हो जाने पर इसकी बैट्री 200 किमी तक चलेगी। अभी इसकी स्पीड 80 किलोमीटर प्रति घंटा है, लेकिन कुछ बदलाव के साथ इसकी रफ्तार 250 किमी प्रति घंटा तक पहुंचने की उम्मीद है।

बीटेक की पढ़ाई छोड़ जुटे कार बनाने में
शहर के सेंट जोसेफ कॉलेज से 12वीं पास अभिषेक ने वर्ष 2018 में दिल्ली के महाराजा सूरजमल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी में बीटेक (मैकेनिकल) में दाखिला लिया था। वहां मन नहीं रमा और एक साल बाद ही पढ़ाई छोड़कर घर आ गए। 2019 से सुपर कार का आइडिया आया और अपने भाई अखिलेश की मदद से इसकी डिजाइन पर काम शुरू किया।

करीब चार साल में डिजाइन बनी। लागत घटाने के लिए पुराने मैटेरियल का भी इस्तेमाल किया। प्रोटोटाइप कार बनाने में 16 लाख लागत आई है। यह पैसे दोस्तों और परिवार से जुटाए। अभिषेक के पिता कुलदीप कुमार एजी ऑफिस में सीनियर अकाउंट अफसर हैं, जबकि मां सुषमा गृहणी हैं।

सस्ती सुपर कार उतारने का है सपना
अभिषेक का सपना सस्ती कार बनाने का है। इसके लिए उन्हें एक निवेशक की तलाश है। वह कहते हैं, देश में अभी तक कोई सुपर कार नहीं बनती। अमेरिका, रूस, जर्मनी, जापान जैसे विकसित देशों से यह कार डेढ़ से दो करोड़ में आती है।

मध्य वर्ग के लिए इसे लेना एक सपना ही है। उनकी कार 50 लाख में ही मिल सकेगी। ऐसा संभव हुआ तो सुपर कारों के मामले में भी भारत आत्मनिर्भर हो जाएगा।

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