सिद्धू ने कहा कि उनकी पत्नी ने अपने आहार में कुछ चीजें शामिल करके स्टेज चार के कैंसर पर काबू पा लिया है लेकिन डॉक्टरों ने इस दावे को लेकर असहमति जताई है|
पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने गुरुवार को घोषणा कि उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू अब कैंसर से मुक्त हो चुकी हैं|
सिद्धू ने यह दावा उनके अमृतसर स्थित आवास पर हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया. सिद्धू ने कहा कि उनकी पत्नी ने अपने आहार में कुछ चीजें शामिल करके स्टेज चार के कैंसर पर काबू पा लिया है|
सिद्धू ने बताया कि उनकी पत्नी के आहार में नींबू पानी, कच्ची हल्दी, सेब का सिरका, नीम की पत्तियां, तुलसी, कद्दू, अनार, आंवला, चुकंदर और अखरोट जैसी चीजें शामिल थीं, जिससे वह स्वस्थ हो गईं|
लेकिन टाटा मेमोरियल अस्पताल के कैंसर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों ने इस दावे पर असहमति जताई है. उन्होंने एक पत्र जारी कर कहा कि इन बयानों का समर्थन करने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है|
क्या बोले कैंसर विशेषज्ञ?
नवजोत सिंह सिद्धू के दावे के बाद यह सवाल उठा कि क्या कच्ची हल्दी, नींबू पानी और नीम की पत्तियों से कैंसर ठीक हो सकता है?
इस मामले में टाटा मेमोरियल अस्पताल के वर्तमान में 262 कैंसर विशेषज्ञों समेत पूर्व कैंसर विशेषज्ञों के अनुसार इस सवाल का जवाब ना है|
इन डॉक्टरों ने एक बयान जारी किया|
इसमें उन्होंने लिखा, ”सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. इसमें एक पूर्व क्रिकेटर अपनी पत्नी के कैंसर के इलाज के बारे में बात कर रहा है.”
“वीडियो के कुछ हिस्सों के अनुसार, हल्दी और नीम के उपयोग से उनकी पत्नी के “लाइलाज” कैंसर को ठीक करने में मदद मिली. इन बयानों का समर्थन करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है.”
“हम लोगों से अपील करते हैं कि वे अप्रमाणित उपचारों का पालन न करें और अपने इलाज में देरी न करें. बल्कि, यदि किसी को अपने शरीर में कैंसर के कोई भी लक्षण महसूस होते हैं, तो उनको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. और यह सलाह एक कैंसर विशेषज्ञ से लेनी चाहिए.”
कैंसर विशेषज्ञों को क्या आपत्ति?
कैंसर विशेषज्ञ डॉ. कनुप्रिया भाटिया पंजाब के लुधियाना में मोहन दाई ओसवाल अस्पताल में मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट के रूप में कार्यरत हैं.
उन्होंने कहा, “मेरे क्लिनिक में आने वाले कम से कम 30-40 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिन्हें लंबे समय से कैंसर है. लेकिन, वे इलाज के लिए जड़ी-बूटियों पर निर्भर रहते हैं.”
उन्होंने बताया, “आज भी देश का एक बड़ा वर्ग ज़्यादा पढ़ा-लिखा नहीं है, जिसके कारण मरीज़ अक्सर डॉक्टर से सलाह लेने के बजाय हर्बल नुस्खों का सहारा लेते हैं.”
“वे सोशल मीडिया पर जो देखते हैं, उस पर तुरंत विश्वास कर लेते हैं. और खुद इलाज़ करने की कोशिश करते हैं. यह बहुत हानिकारक हो सकता है. कैंसर का इलाज संभव है, बशर्ते इसका इलाज सही समय पर हो.”
डॉ. कनुप्रिया भाटिया कहती हैं, “अगर किसी व्यक्ति को शरीर में कैंसर का कोई भी लक्षण दिखे, तो उसको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. अगरआप सोशल मीडिया पर देखकर कोई डाइट शुरू कर देते हैं और अपना इलाज खुद करने लग जाते हैं, तो सही समय पर डॉक्टर से सलाह न मिलने और इलाज शुरू न होने के कारण कैंसर उस स्टेज में पहुंच सकता है, जहां इसका इलाज करना मुश्किल हो जाता है.”
खान-पान के बारे में क्या कहते हैं डॉक्टर?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कैंसर को केवल खान-पान और जीवनशैली में बदलाव करके ठीक नहीं किया जा सकता है. लेकिन, उचित खान-पान कैंसर के इलाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
पंजाब स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर हैं डॉक्टर जसबीर औलख.
वे कहते हैं, ”हमारा खान-पान बहुत ख़राब हो चुका है. वीडियो में बताई गई चीजें ग़लत नहीं हैं, लेकिन अगर हम कुछ साल पीछे जाएं, तो हम ये चीजें सामान्य तौर पर खाते थे.”
डॉक्टर औलख कहते हैं, ”पहले के समय में लोग सूर्यास्त के बाद खाना नहीं खाते थे और सुबह का पहला भोजन 10 बजे के आसपास करते थे, जिसे अब इंटरमिटेंट फास्टिंग कहा जाता है.”
”ये सभी चीजें स्वास्थ्य के लिए अच्छी हैं. लेकिन ये कहना कि इससे कैंसर का इलाज किया जा सकता है, तो यह ग़लत होगा.”
कैंसर के इलाज में खान-पान कितना जिम्मेदार?
उन्होंने कहा, “कैंसर का कारण आमतौर पर पता नहीं चलता है.”
“लेकिन, कई हालिया अध्ययनों से पता चलता है कि कैंसर हमारी ‘आंतों की सेहत’ के कारण होता है. शराब पीने की गलत आदत कैंसर का एक प्रमुख कारण बन सकती है.”
डॉक्टर कनुप्रिया भाटिया के मुताबिक, ”अगर हम सिर्फ कैंसर के इलाज की बात करें, तो इसे चार भागों में बांटा गया है. पहला है सर्जरी. दूसरा है कीमोथेरेपी. तीसरा है रेडिएशन और चौथा है इम्यूनोथेरेपी. इन चारों की रीढ़ है अच्छा खान-पान.”
वह कहती हैं, “लेकिन, जरूरी यह है कि यह डाइट डॉक्टर या कैंसर स्पेशलिस्ट के द्वारा ही तय की जानी चाहिए. ऑन्कोलॉजी का अध्ययन करते समय, हमें इलाज में आवश्यक अच्छे आहार के बारे में सिखाया जाता है.”
“इसलिए, यह अपील की जाती है कि मरीजों को सोशल मीडिया पर आने वाली जानकारियों के प्रभाव में नहीं आना चाहिए. खुद से कुछ भी खाना-पीना शुरू न करें. यह हानिकारक हो सकता है.”