इंडियाज़ गॉट लेटेंट: समय रैना और रणवीर इलाहाबादिया के विवाद से क्या सख्त होंगे सोशल मीडिया के नियम

हास्य, व्यंग्य या तंज़ करना अपने आप में एक कला मानी जाती है, जो समाज पर टिप्पणी करती है और सामाजिक की व्यवस्थाओं पर चोट भी करती है.

लेकिन यह चोट किस ढंग से और किन शब्दों में हो रही है, यह अहम होता है. साथ ही यह भी अहम होता है कि बात किस विषय पर हो रही है.

यही वजह है कि जब-जब किसी हास्य-व्यंग्य करने वाले व्यक्ति पर उनके काम के कारण निशाना साधा जाता है, तो बात अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की उठती है.

मगर बीते हफ़्ते, यह बात इस स्वतंत्रता से आगे बढ़कर विषय के चुनाव, भाषा के इस्तेमाल, और डिजिटल माध्यमों के ज़रिए समाज के अलग-अलग वर्गों पर पड़ रहे असर पर पहुँच गई.

वजह थी ‘इंडियाज़ गॉट लेटेंट’ नाम के एक प्रोग्राम में समय रैना, रणवीर इलाहाबादिया और अपूर्वा मखीजा की कही कुछ बातें.

‘इंडियाज़ गॉट लेटेंट’ शो की कुछ एक क्लिप्स सोशल मीडिया पर वायरल हुईं और इसके बाद विवाद काफी बढ़ गया. बात अब एफआईआर और पुलिस की कार्रवाई तक पहुँच चुकी है.

अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आजकल ओटीटी या सोशल प्लेटफ़ॉर्म्स पर आ रहे कंटेंट को नियंत्रित करने की ज़रूरत है? क्या कंटेंट बनाने वालों या हम जिन्हें इंफ्लुएंसर्स कहते हैं, उन्हें भारतीय समाज की सच्चाई को ध्यान में रखने की ज़रूरत है?

क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर इस तरह के कंटेंट में गाली-गलौज एक सीमा से पार जा रहा है? क्या यह समाज की ही एक झलक है, या क्रिएटिविटी और रचनात्मकता में ज़्यादा मेहनत न किए जाने का असर है? और लोगों का ग़ुस्सा तथा कार्रवाई किस हद तक जायज़ है?

विवाद का ज़िम्मेदार कौन?

इंडियाज़ गॉट लेटेंट विवाद

यूट्यूबर और कॉमेडियन समय रैना के शो ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ के हाल ही में रिलीज़ हुए एक एपिसोड में रणवीर इलाहाबादिया की टिप्पणी के बाद यह एपिसोड विवाद का केंद्र बनी हुई है.

रणवीर ने शो के दौरान एक प्रतिभागी से माता-पिता के निजी संबंधों को लेकर आपत्तिजनक सवाल किया था, जिसको लेकर अलग-अलग तरह से आलोचना हो रही है.

इलाहाबादिया और शो की पूरी टीम के ख़िलाफ़ कई राज्यों में एफ़आईआर तक दर्ज हो गई है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के यूट्यूब को नोटिस भेजने के बाद इस एपिसोड को हटा दिया गया है.

सोशल मीडिया पर कुछ लोग इस विवाद के लिए समय रैना को जिम्मेदार मान रहे हैं, जबकि कुछ रणवीर इलाहाबादिया को दोषी ठहरा रहे हैं. वहीं, कुछ का मानना है कि इस तरह के कंटेंट को देखने वाले दर्शक भी इस विवाद में हिस्सेदार हैं.

ब्लॉगर और कंटेंट क्रिएटर लखन रावत से जब सवाल किया गया कि आप इस विवाद के लिए किसे जिम्मेदार मानते हैं, तो उन्होंने कहा, “जो भी हुआ, वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि किसी भी कला को उसके दायरे में रहते हुए बखूबी किया जा सकता है.”

उन्होंने आगे कहा, “लोग पूरे शो का बहिष्कार कर रहे हैं, लेकिन अगर पूरा शो ऐसा होता, तो वह अब तक बंद हो चुका होता. जवाबदेही रणवीर इलाहाबादिया से मांगी जानी चाहिए, न कि पूरे शो को बंद करने की ओर जाना चाहिए.”

कार्रवाई पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?

इंडियाज़ गॉट लेटेंट विवाद
रणवीर इलाहाबादिया के ख़िलाफ़ असम और महाराष्ट्र में एफआईआर दर्ज हो चुकी है. हालांकि वो मामले पर विवाद बढ़ने पर माफी मांग चुके हैं

जहां एक ओर कुछ लोग इस कार्रवाई को सही ठहरा रहे हैं, वहीं एक दूसरा तबका ऐसा भी है जो इससे नाखुश है. उनका मानना है कि पहले भी कई शो पर यह चर्चा हो चुकी है कि इनमें इस्तेमाल की जाने वाली भाषा समाज पर बुरा असर डालती है, लेकिन उन पर इस तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई.

सोशल मीडिया पर कई लोगों का यह भी तर्क है कि समाज में कई बड़े मुद्दे हैं जिन पर चर्चा होनी चाहिए, लेकिन उन पर ध्यान नहीं दिया जाता है.

इस पर स्टैंड-अप कॉमेडियन संजय राजौरा ने कहा, “यह तो कोई विवाद होना ही नहीं चाहिए. अगर एक यूट्यूब शो में हुई किसी टिप्पणी पर यह हो रहा है, तो इसका मतलब है कि हमारे पास काफ़ी खाली समय है.”

उन्होंने कहा, “मुझे समझ में नहीं आ रहा कि पुलिस या कोई और इसमें जांच क्या करेगा. जो नफ़रती भाषण देते हैं, उन्हें पुलिस की सुरक्षा मिलती है और इन लोगों के पीछे पुलिस पहुंच रही है.”

संजय ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि यह कोई मुद्दा होना चाहिए था. हमें पसंद आता है तो हम देखते हैं और अगर बुरा लगता है तो हम सोचते हैं कि यह बहुत बुरा है, बहुत घटिया है. अगर आपको ऐसी चीज़ों को रोकना है, तो आप फिल्मों की तरह इसके लिए भी रिव्यू दीजिए.”

लखन रावत ने इस पर कहा, “हमारे देश में जब किसी एक चीज़ को लेकर माहौल बनता है, तो फिर बाक़ी सभी चीज़ें भुलाकर लोग उसी एक चीज़ के पीछे लग जाते हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “उनकी टिप्पणी गलत थी, लेकिन कई ऐसी चीज़ें हैं जहां कार्रवाई करने की ज़रूरत है.”

लखन रावत ने यह भी कहा, “एक कंटेंट क्रिएटर के लिए उनके दर्शकों की प्रतिक्रिया ही उनके लिए सबसे बड़ा सबक होती है.”

इस पर स्टैंड-अप कॉमेडियन मुस्कान तनेजा इंडियाज़ गॉट लेटेंट’ को डार्क शो मानती हैं.

उन्होंने कहा, “‘इंडियाज़ गॉट लेटेंट’ सभी को पता है कि यह एक डार्क शो है. कंटेंट में ऐसा कुछ नहीं है कि उस पर कोई एक्शन लिया जाए, क्योंकि यूट्यूब पर पहले से ही कई ऐसी चीज़ें मौजूद हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “हमें यह देखना चाहिए कि हम क्या देख रहे हैं. यह हमारी निजी पसंद है कि हमें क्या देखना चाहिए क्या नहीं, लेकिन किसी के ऊपर एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती.”

मुस्कान ने कहा, “इस मामले में रणवीर के दर्शक अलग थे, तो उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए था कि वह क्या बोल रहे हैं. लेकिन समय रैना को हम शुरू से सुन रहे हैं, वह वैसे ही बोलते थे और आज भी वैसे ही बोलते हैं.”

 

‘डार्क कॉमेडी’

समय रैना
समय रैना सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर और स्टैंडअप कॉमेडियन हैं. वह यूट्यूब पर ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ नाम से शो चलाते हैं

हंसी-मज़ाक़ और चुटकुले लोगों की ज़िंदगी में रंग भरने का काम करते हैं और हंसने-हंसाने वाले लोग हमेशा प्रिय होते हैं.

हालांकि, जब कॉमेडी में गालियों का अत्यधिक इस्तेमाल होने लगे, तो यह कुछ लोगों के लिए आपत्तिजनक हो सकता है. समय रैना के शो ‘इंडियाज़ गॉट लेटेंट’ में गालियों के इस्तेमाल को लेकर विवाद उठ चुका है.

यह सवाल अब चर्चा का केंद्र बन चुका है कि आज के दौर में कॉमेडी में गालियों का इस्तेमाल कितना उचित है.

इस पर स्टैंड-अप कॉमेडियन मुस्कान तनेजा ने कहा, “जिस शो की हम बात कर रहे हैं, उसके लिए पहले से कोई तैयारी नहीं की जाती है, न ही कोई स्क्रिप्ट तैयार की जाती है.”

“वह शो इसलिए मशहूर है क्योंकि समय रैना ने किसी भी बात का तुरंत जवाब दे देते हैं. जहां तक डार्क कॉमेडी की बात है, तो दर्शकों ने ही उसे डार्क नाम दिया है.”

उन्होंने आगे कहा, “समय रैना अमिताभ बच्चन के सामने बैठे थे, तो मुझे नहीं लगता कि कोई भी व्यक्ति उनके सामने जाकर इस तरह से बैठ जाएगा. ज़रूर समय के अंदर कुछ बात होगी, तभी वह उस स्थान पर हैं.”

मुस्कान ने यह भी कहा, “कई ऐसी चीज़ें ओटीटी पर मौजूद हैं, जो स्क्रिप्ट लिखने के बाद भी अश्लील होती हैं.”

लखन रावत ने इस पर कहा, “यह इसलिए नहीं हुआ क्योंकि डार्क कॉमेडी हो रही थी, बल्कि यह इसलिए हुआ क्योंकि रणवीर के पास एक दर्शक वर्ग है जो उनके पॉडकास्ट में आध्यात्मिकता और धार्मिक बातें सुनता है.

“लेकिन जब वही दर्शक उनके इस रूप को देखता है, तो उसे आश्चर्य होता है और फिर वह इस पर अपनी आपत्ति ज़ाहिर करने लगता है.”

उन्होंने कहा, “एक कलाकार के लिए यही चुनौती है कि वह दायरे में रहते हुए कैसे लोगों तक अपनी बात पहुंचाए.”

स्वतंत्रता की सीमाएं और सामाजिक ज़िम्मेदारी

स्टैंड-अप कॉमेडी सांकेतिक तस्वीर
‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ शो पहले भी आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए यह विवादों में रह चुका है

स्वतंत्रता हर इंसान का अधिकार है, लेकिन इसे समाज की भावनाओं और संवेदनाओं के साथ समझदारी से इस्तेमाल करना ज़रूरी है.

आजकल सोशल मीडिया और कॉमेडी जैसे प्लैटफ़ॉर्म पर लोग अपनी बात रख रहे हैं, लेकिन कभी-कभी यह स्वतंत्रता दूसरों की भावनाओं को चोट पहुंचा सकती है.

समय-समय पर सूचना और प्रसारण मंत्रालय अश्लील कंटेंट बनाने वाले सोशल मीडिया अकाउंट्स और प्रसारित करने वाले ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कार्रवाई करता है.

हाल के विवाद से कई कंटेंट क्रिएटर्स के मन में सवाल पैदा हो गया है कि वह कैसे बिना किसी को आहत किए लोगों का दिल जीत सकते हैं. साथ ही कंटेंट बनाते वक्त उन्हें किन बातों को ध्यान में रखने की ज़रूरत है.

इस पर बिहार के सूचना आयुक्त त्रिपुरारी शरण ने कहा, “हमें यह ध्यान में रखना होगा कि हम जिस स्वतंत्रता की बात करते हैं, क्या वह किसी दूसरे की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कहीं से कमज़ोर तो नहीं कर रहा है.”

उन्होंने कहा, “सोशल मीडिया पर सख्ती नहीं होने के कारण लोग समझते हैं कि जो उनके मन में आएगा, वे वही करेंगे.”

उन्होंने आगे कहा, “समाज के तौर पर हमें यह कोशिश करनी चाहिए कि हम किसी की स्वतंत्रता या संवेदनशीलता पर आघात न करें.”

त्रिपुरारी शरण ने उदाहरण देते हुए कहा, “अगर आप कोई गलती करते हैं या अश्लील बात कह देते हैं, तो सामान्य रूप से इसे गलत माना जाता है. अगर आपके परिवार का कोई सदस्य, दोस्त, या करीबी व्यक्ति आपको यह बताता है कि जो आपने किया, वह ठीक नहीं था और आपको इसे इस तरह करना चाहिए, तो आप उस सलाह को गंभीरता से लेते हैं और सुधार करने की कोशिश करते हैं.”

“लेकिन जब यही बात कोई बाहरी व्यक्ति कहता है, जो आपके परिवार या समुदाय का सदस्य नहीं है, तो उसकी सलाह आप उतनी सहजता से स्वीकार नहीं करते और अगर बात केवल सुझाव देने तक सीमित न होकर एक्शन लेने तक आ जाती है, तो उस बाहरी व्यक्ति की प्रतिक्रिया बहुत तीखी हो सकती है.”

उन्होंने कहा, “इसलिए सेल्फ-रेगुलेशन का कोई विकल्प नहीं है. जो भी मीडिया या क्रिएटिव इंडस्ट्री हैं, उसे अपने भीतर अपने मार्गदर्शकों को ढूंढना होगा, जो लोगों को नियंत्रित कर सकें. अगर हम ऐसा नहीं कर पाते, तो हम एक बहुत ही बदतर विकल्प को जन्म दे रहे हैं, जो स्थिति को और खराब बना सकता है.”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

nonono 1245 dog braces lovepluspet dog braces braces for a dog lovepluspet braces for dogs