महाराष्ट्र में इन दिनों एक विवादित मुद्दा चर्चा का केंद्र बना हुआ है—औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग। दक्षिणपंथी संगठनों ने मुग़ल सम्राट औरंगजेब की छत्रपति संभाजी नगर जिले में स्थित कब्र को हटाने की जोरदार मांग उठाई है, जिसके चलते राज्य में तनाव बढ़ता जा रहा है। इस विवाद को लेकर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सख्त शब्दों में प्रतिक्रिया दी है।
‘औरंगजेब के महिमामंडन करने वाले देशद्रोही’
एकनाथ शिंदे ने स्पष्ट रूप से कहा कि जो लोग अभी भी औरंगजेब की प्रशंसा कर रहे हैं, वे ‘देशद्रोही’ हैं। उन्होंने औरंगजेब को एक ऐसे शासक के रूप में वर्णित किया, जिसने भारतीय उपमहाद्वीप पर कब्जा करने की कोशिश की और हिंदू संस्कृति और समाज पर अत्याचार किए। शिंदे ने औरंगजेब के शासनकाल को विभाजन और असहमति का प्रतीक बताते हुए कहा कि वह एक निरंकुश शासक था, जिसने भारत के इतिहास को काले धब्बे के रूप में प्रभावित किया।
छत्रपति शिवाजी महाराज के साहस और विरासत का सम्मान
इसके विपरीत, शिंदे ने मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज को ‘दिव्य शक्ति’ और भारतीय वीरता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज ने केवल भारत की स्वाधीनता के लिए संघर्ष नहीं किया, बल्कि हिंदुत्व की भावना को भी मजबूत किया। शिंदे ने शिवाजी महाराज के अद्वितीय साहस, बलिदान और नेतृत्व की मिसाल को प्रस्तुत किया, जिसे आज भी हर भारतीय गर्व के साथ याद करता है।
शिव जयंती पर शाही प्रतिमा का अनावरण
सोमवार रात ‘शिव जयंती’ के अवसर पर एकनाथ शिंदे ने ठाणे जिले के डोंबिवली इलाके के घारदा चौक पर एक भव्य शिवाजी महाराज की प्रतिमा का अनावरण किया। यह प्रतिमा घोड़े पर सवार शिवाजी महाराज की छवि को दर्शाती है, जो उनकी वीरता, साहस और नेतृत्व के प्रतीक के रूप में स्थापित की गई है। इस प्रतिमा के अनावरण के दौरान शिंदे ने कहा कि यह प्रतिमा मराठा साम्राज्य की महान विरासत को सम्मान देने के लिए बनाई गई है।
नागपुर में हिंसा और तनाव का माहौल
इस मुद्दे पर महाराष्ट्र में तूल पकड़ी हुई बहस के बीच, सोमवार की रात नागपुर में हिंसा की घटनाएं भी सामने आईं। रिपोर्ट्स के अनुसार, हिंसा में कई लोग घायल हो गए, और पुलिस को स्थिति नियंत्रित करने के लिए कठिनाई का सामना करना पड़ा। ऐसे में राज्य में राजनीतिक और सामाजिक तनाव का माहौल बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से विवादित मुद्दा
औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग को लेकर यह विवाद राजनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से बेहद संवेदनशील बन गया है। मराठा साम्राज्य और औरंगजेब के बीच का ऐतिहासिक संघर्ष आज भी भारतीय समाज में विभाजन और बहस का कारण बना हुआ है। यह मुद्दा केवल महाराष्ट्र तक सीमित नहीं रहा, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा में है, जिससे राज्य की राजनीति और समाज में गहरी दरारें दिखने लगी हैं।
इस मुद्दे पर तात्कालिक समाधान या रुख की कोई स्पष्ट तस्वीर सामने नहीं आई है, लेकिन इसने एक बार फिर से भारतीय इतिहास और संस्कृति के प्रति दृष्टिकोणों में विविधता को उजागर किया है।