इसराइल ने ईरान के ‘परमाणु कार्यक्रम’ से जुड़े ठिकानों पर हमले किए हैं. इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने इन हमलों पर बयान जारी किया है.
नेतन्याहू ने कहा, “कुछ देर पहले इसराइल ने ऑपरेशन राइज़िंग लायन शुरू किया है, जो इसराइल के अस्तित्व पर ईरान के ख़तरे को कम करने के लिए एक टारगेटेड सैन्य अभियान था. ये अभियान तब तक जारी रहेगा , जब तक ज़रूरी होगा.”
वहीं ईरान के सरकारी मीडिया के मुताबिक इसराइल ने तेहरान और दूसरे शहरों में रिहायशी इलाकों को निशाना बनाया है.
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली ख़ामेनेई ने इसराइल के हमले पर कहा है कि उसे सज़ा भुगतनी होगी.
उन्होंने एक्स पर लिखा, “उस (ज़ाय़निस्ट) सरकार को कड़ी सज़ा की उम्मीद करनी चाहिए. ईरान की सशस्त्र सेना उन्हें सज़ा दिए बिना नहीं जाने छोड़ेगी.”
हमले के फ़ौरन बाद इसराइल ने देश में आपातकाल लागू कर दिया है. आशंका है कि ईरान इन हमलों का बदला ले सकता है.
वहीं, अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो की ओर से भी इन हमलों पर प्रतिक्रिया आ गई है. उन्होंने स्पष्ट किया है कि अमेरिका इस हमले में शामिल नहीं है.
ईरान पर इसराइली हमले की आशंका पहले से ही जताई जा रही थी. वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अगर ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने से जुड़े अमेरिकी प्रस्ताव को ठुकराता है, तो ईरान पर इसराइल हमले के लिए तैयार है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक ईरान की सेना के प्रवक्ता ने कहा है कि इसराइल और अमेरिका को इन हमलों की भारी कीमत चुकानी होगी.
ईरान की सेना के प्रवक्ता अबोलफजल शेकारची, “सेना यकीनन ज़ायनिस्ट हमले का जवाब देगी.
नेतन्याहू क्या बोले?

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इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने हमले के बाद एक बयान जारी किया है.
उन्होंने कहा, “हाल के महीनों में ईरान ने ऐसे कदम उठाए हैं जो उसने पहले कभी नहीं उठाए. ये संवर्धित यूरेनियम को हथियार बनाने के लिए उठाए गए कदम हैं.”
“अगर रोका नहीं गया, तो ईरान बहुत कम समय में परमाणु हथियार बना सकता है. यह एक साल में हो सकता है. यह कुछ महीनों में, एक साल से भी कम समय में हो सकता है. यह इसराइल के अस्तित्व के लिए एक स्पष्ट और मौजूदा खतरा है.”
नेतन्याहू ने कहा कि इसराइल ने “ईरान के परमाणु संवर्धन कार्यक्रम के केंद्र पर हमला किया”
नेतन्याहू ने कहा कि इसराइल ने ईरान की राजधानी तेहरान से लगभग 225 किलोमीटर दक्षिण में ईरानी शहर नतांज़ में ईरान के मुख्य संवर्धन ठिकानों पर हमला किया है.
अप्रैल 2021 में ईरान ने उसी ठिकाने पर साइबर हमले के लिए इसराइल को दोषी ठहराया था. ईरान ने कहा कि इसराइल ने “ईरानी बम पर काम कर रहे ईरानी वैज्ञानिकों” को निशाना बनाया था.
नेतन्याहू ने कहा, “जितने भी दिन लगेंगे हमले तब तक जारी रहेंगे.”
इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने परमाणु कार्यक्रम वार्ता पर ‘नेतृत्व’ के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का धन्यवाद दिया. नेतन्याहू ने कहा, “उन्होंने बार-बार स्पष्ट किया है कि ईरान परमाणु संवर्धन कार्यक्रम नहीं चला सकता.”
ईरान के मीडिया में क्या कहा जा रहा है?

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ईरान के सरकारी मीडिया के मुताबिक इसराइल ने तेहरान में रिहायशी इलाकों पर हमला किया है.
ईरान के सरकारी मीडिया के मुताबिक तेहरान के अलावा दूसरे शहरों में भी इसराइल ने रिहायशी इलाकों पर हमला किया है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने ईरान के सरकारी मीडिया के हवाले से कहा है कि मारे जाने वालों में बच्चे भी शामिल हैं.
ईरान के सरकारी टीवी ने रिपोर्ट किया है तेहरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड के हेडक्वार्टर पर भी इसराइल ने हमला किया है और इसके चीफ़ हुसैन सलामी हमले में मारे गए हैं.
स्थानीय मीडिया के मुताबिक वहां धुएं के गुबार देखे जा सकते हैं.
रिवॉल्यूशनरी गार्ड ईरान की सेना की एक ब्रांच है और यह ईरान का सबसे मजबूत संगठन भी है.
ईरानी सरकारी टीवी ने इसराइली हमलों में मारे गए दो वरिष्ठ परमाणु वैज्ञानिकों के नाम भी बताए हैं.
इसमें परमाणु ऊर्जा संगठन के पूर्व प्रमुख फिरेदून अब्बासी और तेहरान स्थित इस्लामिक आज़ाद विश्वविद्यालय के अध्यक्ष मोहम्मद मेहदी तेहरानची शामिल हैं.
2010 में तेहरान की एक सड़क पर फिरेदून अब्बासी का हत्या का प्रयास किया गया था. इसमें वह बच गए थे.
अमेरिका ने क्या कहा?

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अमेरिका ने ईरान पर हमले में किसी भी तरह की भूमिका से इनकार किया है.
अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा, “इसराइल ने ईरान के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की है. हम ईरान के खिलाफ हमलों में शामिल नहीं हैं और हमारी प्राथमिकता क्षेत्र में अमेरिकी सेना की सुरक्षा करना है.
हालांकि रुबियो ने ईरान पर इसराइल के हमले का बचाव भी किया है.
उन्होंने कहा, “इसराइल ने हमें सलाह दी कि उनका मानना है कि यह कार्रवाई उसकी आत्मरक्षा के लिए ज़रूरी है. राष्ट्रपति ट्रंप और प्रशासन ने हमारी सेना की सुरक्षा के लिए सभी ज़रूरी कदम उठाए हैं.”
“हम क्षेत्र में अपने साझेदारों के साथ संपर्क में बने हुए हैं. मैं साफ कर दूं कि ईरान को अमेरिकी हितों या कर्मियों को निशाना नहीं बनाना चाहिए.”
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हालांकि अभी तक इसराइल के हमले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
पहले से जताई जा रही थी हमले की आशंका

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एक्सपर्ट्स के मुताबिक अमेरिका ने हाल के दिनों में मध्य पूर्व में जो कदम उठाए उससे इसराइल के ईरान पर हमले की आशंका जताई जा रही थी.
नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल में काउंटर टेररिज्म के पूर्व डायरेक्टर जावेद अली ने कहा, “इस हमले पर हैरानी कौन जता रहा है.”
उन्होंने बीबीसी के एक कार्यक्रम में बताया कि हमले शुरू होने को लेकर एक संदेश पहले ही दे दिया गया था. इराक में अमेरिकी दूतावास को आंशिक रूप से खाली करना इसी बात का संकेत था.
जावेद अली ने कहा, “अमेरिका ने इसके साथ ही क्षेत्र में सैन्य ठिकानों से सैन्य परिवारों को वापस भेजने का आदेश दिया गया. साथ ही अमेरिका की ओर से क्षेत्र में और बातों को लेकर सार्वजनिक रूप से चर्चा नहीं की जा रही है. मेरे लिए यह एक बड़ा संकेत था कि ये हमले बहुत जल्द होने वाले हैं.”
जावेद अली का कहना है कि इस हमले के बाद यह साफ नहीं है कि अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु कार्यक्रम को लेकर छठे दौर की वार्ता का क्या होगा.
जावेद अली ने कहा, “ईरान ने कहा था कि अगर इसराइल हमला करता है तो वो इसके लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराएगा और अमेरिका के ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई करेगा.”
“अभी तक ऐसा नहीं हुआ है. अगर ऐसा होता है तो फिर अमेरिका बड़ी कार्रवाई कर सकता है. फिलहाल के लिए ईरान इस लड़ाई में अमेरिका की मौजूदगी नहीं चाहता है.”