ब्रिटेन के लीड्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार दुनिया में भारत प्लास्टिक कचरे का सबसे ज्यादा उत्पादन करता है। यहां हर साल 1.02 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है जो दूसरे सबसे बड़े प्लास्टिक कचरा उत्पादक के मुकाबले दो गुना से भी अधिक है। ब्रिटेन के लीड्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, दुनिया हर साल 5.7 करोड़ टन प्लास्टिक प्रदूषण पैदा करती है और इसे सबसे गहरे महासागरों से लेकर सबसे ऊंचे पर्वत शिखर और लोगों के शरीर के अंदर तक फैलाती है। इस अध्ययन के अनुसार इस 5.7 करोड़ टन प्लास्टिक कचरे का दो-तिहाई से अधिक हिस्सा वैश्विक दक्षिण से आता है।
इस अध्ययन के लेखक कोस्टास वेलिस के अनुसार, दुनिया में हर साल इतना प्लास्टिक कचरा पैदा होता है जो न्यूयॉर्क शहर के सेंट्रल पार्क में एम्पायर स्टेट बिल्डिंग जितनी ऊंचाई तक पहुंच सके। ऊंचा प्लास्टिक कचरे से भरने के लिए हर साल पर्याप्त प्रदूषण होता है। शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए दुनिया भर के 50 हजार से अधिक शहरों और कस्बों में स्थानीय स्तर पर उत्पादित कचरे की जांच की। अध्ययन के परिणाम बुधवार को नेचर पत्रिका में प्रकाशित हुए।
इस अध्ययन के दौरान ऐसे प्लास्टिक की जांच की गई जो खुले वातावरण में जाता है, न कि लैंडफिल में जाने वाले या ठीक से जला दिए जाने वाले प्लास्टिक की। दुनिया की 15 प्रतिशत आबादी से सरकार प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करने और निपटाने में विफल रहती है। अध्ययन के लेखकों ने कहा यह दक्षिण पूर्व एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में सबसे अधिक प्लास्टिक कचना उत्पादन के पीछे की मुख्य वजह है। इस 15 फीसदी आबादी में भारत के 25.5 करोड़ लोग शामिल हैं।
शहरों में लागोस सबसे बड़ा खलनायक
कोस्टास वेलिस के अनुसार लागोस दुनिया में किसी भी शहर के मुकाबले ज्यादा प्लास्टिक प्रदूषण उत्सर्जित करते हैं। इसके अलावा नई दिल्ली, लुआंडा, अंगोला, कराची, और मिस्र का काहिरा भी शीर्ष प्लास्टिक प्रदूषणकर्ताओं में शामिल है।
भारत के बाद नाइजीरिया और इंडोनेशिया, चीन चौथे स्थान पर
भारत के बाद सबसे अधिक प्लास्टिक प्रदूषण नाइजीरिया और इंडोनेशिया फैलाते हैं। वेलिस ने कहा कि प्रदूषण के लिए अक्सर मुख्य खलनायक के रूप में जाना जाने वाला चीन इस मामले में चौथे स्थान पर है, लेकिन वह कचरे को कम करने में जबरदस्त प्रगति कर रहा है। अन्य शीर्ष प्लास्टिक प्रदूषक पाकिस्तान, बांग्लादेश, रूस और ब्राजील हैं। अध्ययन के आंकड़ों के अनुसार, ये आठ देश दुनिया के आधे से अधिक प्लास्टिक प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
अमेरिका 90, ब्रिटेन 135 स्थान पर
अध्ययन के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका 52,500 टन से अधिक प्लास्टिक प्रदूषण के साथ सूची में 90 वें जबकि ब्रिटेन लगभग 5,100 टन के साथ 135वें स्थान पर है। वर्ष 2022 में दुनिया के अधिकांश देशों ने महासागरों सहित प्लास्टिक प्रदूषण पर पहली कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि करने पर सहमति व्यक्त की। अंतिम संधि वार्ता नवंबर में दक्षिण कोरिया में होगी।