ऋषिकेश, उत्तराखंड:
ऋषिकेश, जो कभी विश्वभर में अपनी आध्यात्मिकता और शांति के लिए प्रसिद्ध था, अब शराब और गंदगी के ढेर से घिरता नजर आ रहा है। हाल ही में गंगा किनारे की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई, जिसमें शराब की खाली बोतलों का ढेर नजर आ रहा था, जिससे न केवल स्थानीय लोग बल्कि पूरे देश के हिंदू समाज के बीच गुस्से की लहर दौड़ गई है। तस्वीर ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या यह पवित्र शहर अब अपनी आध्यात्मिक पहचान खो चुका है, और अगर ऐसा ही चलता रहा तो क्या ऋषिकेश का नाम भी इतिहास के पन्नों में सिमट जाएगा?
शराब ने किया आध्यात्मिकता का मजाक
गंगा के किनारे बिखरी शराब की बोतलें किसी और चीज़ का प्रतीक नहीं बल्कि यह हमारी धार्मिक और आध्यात्मिक पहचान पर हमला है। कई लोग इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं और इसे हिंदू धर्म और संस्कृति के लिए एक अपमान मान रहे हैं। इस दृश्य को देखकर यह सवाल उठता है कि क्या अब ऋषिकेश की शांति और पवित्रता को हम बचा पाएंगे या इसे पूरी तरह से खो देंगे?
यह घटना सिर्फ एक साधारण गंदगी नहीं, बल्कि हमारी संस्कृतियों और धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का मामला बन चुकी है। अगर प्रशासन और सरकार सख्त कदम नहीं उठाती है, तो आने वाले समय में यह भूमि पूरी तरह से एक पवित्र स्थल से गंदगी के ढेर में तब्दील हो सकती है।
सरकार की लापरवाही और शराब के कारोबार का खेल
यह सब कुछ सिर्फ पर्यटकों की लापरवाही का परिणाम नहीं है। सरकार की कड़ी नज़र और सही उपायों की कमी इस स्थिति को उत्पन्न करने के लिए जिम्मेदार है। जहां एक तरफ उत्तराखंड में शराब का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है, वहीं सरकार इस पर नजर रखने और उसे नियंत्रित करने में नाकाम साबित हो रही है। राज्य सरकार को यह तथ्य समझना होगा कि शराब की बिक्री से सरकार को आय होती है, लेकिन इसका खामियाजा धार्मिक और आध्यात्मिक स्थलों की पवित्रता से चुकाना पड़ रहा है। यह साफ है कि अगर उत्तराखंड में शराब पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया जाता, तो ऋषिकेश जैसे स्थलों की प्रतिष्ठा पर और गहरा असर पड़ेगा।
शराब पर प्रतिबंध लगाना है जरूरी
ऋषिकेश की शांति और धार्मिक महत्व को बनाए रखने के लिए सरकार को तुरंत शराब पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। इसके अलावा, शराब की बोतलों के ढेर को देखकर यही साफ होता है कि यहां के गंगा घाटों पर कड़े सफाई नियमों और निगरानी की सख्त आवश्यकता है। अगर राज्य सरकार सचमुच ऋषिकेश की आध्यात्मिकता और पवित्रता को बचाना चाहती है तो इसे पर्यटन को भी नियंत्रित करना होगा और सफाई पर ध्यान देना होगा।
समाधान क्या हो सकता है?
इस संकट से उबारने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं। सबसे पहले, उत्तराखंड में शराब की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लागू करना चाहिए, खासकर धार्मिक स्थलों के आसपास। इसके अलावा, राज्य में कड़े सफाई नियम लागू करने की आवश्यकता है, ताकि कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक स्थानों पर कचरा न फैलाए। और सबसे अहम कदम यह होगा कि सरकार एक ‘पर्यटक पुलिस’ का गठन करे, जो न सिर्फ पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें, बल्कि उन्हें धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनाए रखने के प्रति जागरूक भी करे।
ऋषिकेश, जो कभी पूरी दुनिया के लाखों भक्तों के लिए शांति का प्रतीक था, अब अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है। अगर इसी तरह से शराब और गंदगी का फैलाव जारी रहा, तो हम इस ऐतिहासिक स्थल की पवित्रता और सुंदरता को हमेशा के लिए खो सकते हैं। यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम ऋषिकेश को फिर से उसकी आध्यात्मिक पहचान दिलवाने के लिए कदम उठाएं।