भगवताचार्य श्याम सुंदर जी को पित्रशोक

ऋषिकेश,31 दिसम्बर।श्री श्याम शरणम सेवा संस्थान चंडीगढ़ के संस्थापक एवं प्रबुद्ध भगवताचार्य श्याम सुंदर गैरोला निवासी वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली नगर ऋषिकेश के पिता के निधन से उन्हें पित्रशोक हुआ है।उनके पिता 92 वर्ष के थे,और बीते तीन चार दिनों से उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।उन्होंने आज 31 दिसम्बर की सुबह अंतिम सांस ली।गौरतलब है कि श्री श्याम सुंदर गैरोला आध्यात्मिक गुरु होंने के साथ सात ही भगवताचार्य कथा वक्ता हैं।उनके उत्तराखण्ड सहित चंडीगढ़,पँजाब सहित अन्य प्रांतों में भी बड़ी संख्या में मानने वाले हैं।भगवताचार्य श्री श्याम सुंदर जी के पिता के निधन के समाचार के साथ ही उनके भक्तों में शोक लहर दौड़ गयी।देर शाम उनके पिता के पार्थिव शरीर की अंत्येष्टि टिहरी जनपद के पूर्णा नंद घाट पर की गई।जहाँ बड़ी संख्या में उनके शिष्य और स्थानीय लोग मौजूद रहे।उनके पिता सरल स्वभाव के अनुभवी व्यक्ति थे।स्थानीय लोग उनसे विचार विमर्श और सलाह मशविरा लेते रहते थे।इधर आज साल के अंतिम दिवस होने के कारण यातायात योजना ट्रैफिक प्लान बदलने की वजह से लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रान्त पर्यावरण संयोजक और नगर निगम ऋषिकेश के ब्रांड एंबेसडर विनोद जुगलान ने श्री श्याम सुंदर गैरोला जी के पिता के निधन के साथ ही खदरी में अंत्येष्टि का पक्का घाट न होने पर भी खेद जताया ।जुगलान ने कहा कि यहाँ लोग मरते देहरादून जनपद अंतर्गत हैं लेकिन अंत्येष्टि के लिए सुविधा न होने के कारण टिहरी जनपद के पूर्णा नन्द घाट या हरिद्वार जनपद के खड़खड़ी घाट लेजाना पड़ता है।यात्रा सीजन और खासकर यातायात प्लान बदलने पर स्थानीय लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।जो खेद पूर्ण है।समस्या के निदान के लिए खदरी में स्थाई घाट निर्माण और लकड़ियों की व्यवस्था के लिए जिलाधिकारी देहरादून के समक्ष सुझाव जिला गंगा सुरक्षा समिति की अगली बैठक में रखा जाएगा।विदित हो कि नमामि गंगे योजना के तहत नए घाटों के निर्माण की व्यवस्था का प्रावधान है।-विप्र

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