चीन पहुंचे अजीत डोभाल, वांग यी के साथ कल अहम बैठक; 5 साल बाद फिर शुरू होगी सीमा वार्ता|

विशेष प्रतिनिधियों की बैठक 5 साल के बाद हो रही है। पिछली बैठक 2019 में दिल्ली में हुई थी। भारत-चीन के बीच विवाद को निपटाने के लिए विशेष प्रतिनिधियों के इस तंत्र ने पिछले कुछ वर्षों में 22 बार बैठक की हैं।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल बुधवार को होने वाली भारत-चीन विशेष प्रतिनिधि (एसआर) वार्ता में भाग लेने के लिए मंगलवार को बीजिंग पहुंचे। इस वार्ता का उद्देश्य पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के कारण करीब पांच साल से प्रभावित रहे द्विपक्षीय संबंधों को बहाल करना है। डोभाल अपने चीनी समकक्ष और विदेश मंत्री वांग यी के साथ विशेष प्रतिनिधियों (एसआर) की 23वें दौर की वार्ता करेंगे। इस दौरान पूर्वी लद्दाख से सैनिकों की वापसी और गश्त को लेकर दोनों देशों के बीच 21 अक्टूबर को हुए समझौते के बाद द्विपक्षीय संबंधों को बहाल करने के लिए कई मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है।

चीन ने इस महत्वपूर्ण वार्ता से पहले मंगलवार को कहा कि वह 24 अक्टूबर को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर रूस के कजान में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक के दौरान बनी आम सहमति के आधार पर प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने के लिए तैयार है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने एक संवाददाता सम्मेलन में विशेष प्रतिनिधि वार्ता के बारे में पूछे जाने पर कहा कि चीन दोनों नेताओं (मोदी और जिनपिंग) के बीच बनी अहम आम सहमति को साकार करने, वार्ता और संचार के माध्यम से आपसी विश्वास एवं भरोसा बढ़ाने, अपनी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने तथा द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ एवं सतत तरीके से आगे बढ़ाने के मकसद से भारत के साथ मिलकर काम करने को तैयार है।

विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा था, ‘‘23 अक्टूबर को कजान में दोनों नेताओं की बैठक के दौरान बनी सहमति के अनुसार दोनों विशेष प्रतिनिधि सीमा क्षेत्रों में शांति और सौहार्द के प्रबंधन पर चर्चा करेंगे और सीमा से जुड़े मुद्दे का निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान तलाशेंगे।’’ मोदी और शी की इस बैठक के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष ने ब्राजील में जी-20 शिखर सम्मेलन के इतर मुलाकात की थी। इसके बाद चीन-भारत सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की बैठक हुई।

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ और उसके बाद उसी साल जून में गलवान घाटी में घातक झड़प हुई, जिसके परिणामस्वरूप दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया था। व्यापार को छोड़कर, दोनों देशों के बीच संबंध लगभग ठप हो गए।

यह गतिरोध एक समझौते के तहत देपसांग और डेमचोक से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद समाप्त हुआ था। सैनिकों की वापसी के समझौते को 21 अक्टूबर को अंतिम रूप दिया गया था। विशेष प्रतिनिधियों की यह बैठक पांच साल के अंतराल के बाद हो रही है। पिछली बैठक 2019 में दिल्ली में हुई थी। भारत-चीन के बीच 3488 किमी लंबी सीमा से जुड़े विवाद को निपटाने के लिए विशेष प्रतिनिधियों के इस तंत्र ने पिछले कुछ वर्षों में 22 बार बैठक की हैं। इस तंत्र का गठन 2003 में किया गया था। हालांकि, इससे सीमा विवाद को सुलझाने में सफलता नहीं मिली, लेकिन दोनों पक्षों के अधिकारी इसे दोनों देशों के बीच बार-बार होने वाले तनाव को दूर करने के लिहाज से एक बहुत ही आशाजनक,उपयोगी और सहज साधन मानते हैं।

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