प्राकृतिक रेशों से आत्मनिर्भरता की राह: श्री बंशीधर तिवारी जी ने किया तीन दिवसीय क्राफ्ट मेले का शुभारंभ

स्थानीय उत्पादों से रोजगार की नई राह: श्री बंशीधर तिवारी जी

मुनिकीरेती स्थित पूर्णानंद डिग्री कॉलेज में बुधवार को तीन दिवसीय क्राफ्ट सह जागरूकता कार्यक्रम का शुभारंभ उत्साहपूर्ण माहौल में हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के महानिदेशक श्री बंशीधर तिवारी ने किया। इस अवसर पर उन्होंने राज्य में स्थानीय एवं हस्तनिर्मित उत्पादों के बढ़ते महत्व पर जोर देते हुए कहा कि प्राकृतिक रेशों से तैयार स्थानीय उत्पाद न केवल उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान को मजबूती देते हैं, बल्कि युवाओं और महिलाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी प्रस्तुत कर रहे हैं। उन्होंने इस तरह के आयोजनों को राज्य की अर्थव्यवस्था में स्थानीय उत्पादों की भूमिका को सुदृढ़ करने वाला महत्वपूर्ण प्रयास बताया।

ऋषिकेश नेचुरल फाइबर हैंडीक्राफ्ट प्रड्यूसर कंपनी द्वारा आयोजित इस तीन दिवसीय कार्यक्रम के पहले दिन परिसर में 20 से अधिक स्टॉल लगाए गए। इन स्टॉलों में विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक रेशों से निर्मित हस्तशिल्प उत्पाद प्रदर्शित किए गए, जिनमें मुख्य रूप से रिंगाल, भांग, बाँस और अन्य स्थानीय वन्य रेशों से तैयार वस्तुएँ शामिल रहीं। इन उत्पादों को बनाने की पारंपरिक विधियों का प्रदर्शन भी किया गया, जिसने दर्शकों का विशेष ध्यान आकर्षित किया।

स्थानीय महिला शिल्पकारों ने आगंतुकों के समक्ष लाइव डेमो प्रस्तुत किए, जिसमें उन्होंने प्राकृतिक रेशों को तैयार करने से लेकर आकर्षक उत्पाद बनाने तक की पूरी प्रक्रिया को विस्तार से दिखाया। इससे छात्रों और आगंतुकों को पारंपरिक हस्तशिल्प तकनीकों की प्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त हुई। कार्यक्रम का वातावरण सांस्कृतिक रंगों से भी सराबोर रहा, क्योंकि कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने पारंपरिक गीतों और नृत्यों की मनमोहक प्रस्तुतियाँ देकर दर्शकों की खूब सराहना बटोरी।

तीन दिवसीय कार्यक्रम के आगामी दिनों में भी विभिन्न प्रशिक्षण सत्रों, कार्यशालाओं और प्रदर्शनी गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। आयोजकों का कहना है कि इस तरह के प्रयास स्थानीय कौशल को नई दिशा देते हुए राज्य के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।

कंपनी के निदेशक अनिल चंदोला ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य स्थानीय युवाओं और विद्यार्थियों को प्राकृतिक रेशों तथा हस्तशिल्प कला के प्रति जागरूक करना है। उन्होंने कहा कि यदि युवा इन कलाओं में दक्षता हासिल करते हैं, तो भविष्य में हस्तशिल्प आधारित उद्यम स्थापित कर आत्मनिर्भर बन सकते हैं। चंदोला ने विश्वास जताया कि प्राकृतिक रेशों से जुड़े हस्तशिल्प उद्योग आने वाले वर्षों में युवाओं के लिए स्वरोजगार के बड़े अवसर लेकर आएंगे। यह न केवल व्यक्तिगत आर्थिक सशक्तिकरण का माध्यम बनेगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेगा।

कार्यक्रम के दौरान कंपनी की निदेशक बीना पुंडीर, नरेंद्र कुकशाल, गीता चंदोला, अमित डोभाल, सुनील जुयाल, वेदप्रकाश तिवारी और कमली पंवार सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद रहे। सभी ने स्थानीय उत्पादों के संरक्षण और प्रसार में महिलाओं और युवाओं की बढ़ती भूमिका की सराहना की।

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