ढ़ालवाला: भारतीय ग्रामोत्थान संस्था में कार्यरत महिलाओं के लिए एक विशेष योग और आध्यात्मिक कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला चार दिनों तक चली और इसमें महिलाओं को योग, आध्यात्म और सही आचरण के महत्व की सीख दी गई। कार्यशाला का नेतृत्व महाराष्ट्र, पुणे से आए प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु सुनील मानकडिया ने किया।
गुरुजी ने कार्यशाला के दौरान बताया कि इंद्रियों पर नियंत्रण ही एक सच्चे योगी की पहचान होती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को जीवन में आने वाली हर समस्या का समाधान योग और अपने आचरण में सुधार के माध्यम से करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर कोई व्यक्ति खुशहाल जीवन जीना चाहता है, तो उसे अपने खान-पान, आचरण और विचारों पर नियंत्रण रखना आवश्यक है।
गुरुजी ने कहा कि हम जो खाते और देखते हैं, वही हमारे अवचेतन मन में प्रवेश कर जाता है और हमारे व्यवहार को प्रभावित करता है। इसलिए, सकारात्मक जीवन जीने के लिए संतुलित आहार और सही आदतों को अपनाना आवश्यक है। उन्होंने शाकाहार अपनाने पर भी जोर दिया और कहा कि मनुष्य का शरीर शाकाहारी प्राणियों के समान होता है, इसलिए उसे मांसाहार से बचना चाहिए। मांसाहार न केवल शरीर के लिए हानिकारक है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है।
कार्यशाला के दौरान महिलाओं को विभिन्न योग क्रियाओं जैसे वज्रासन, अनुलोम-विलोम आदि का अभ्यास कराया गया। योग क्रियाओं के लाभों को बताते हुए गुरुजी ने कहा कि ये न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाती हैं, बल्कि मानसिक शांति और आत्म-संयम भी प्रदान करती हैं।
संस्था में कार्यरत सभी महिलाओं ने इस कार्यशाला को सराहा और इसे जीवन में बदलाव लाने वाला अनुभव बताया। उन्होंने कहा कि गुरुजी द्वारा सिखाई गई बातों को वे अपने दैनिक जीवन में अपनाने का प्रयास करेंगी।
इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को स्वस्थ जीवनशैली, सकारात्मक सोच और आत्मसंयम के महत्व से परिचित कराना था, जिसे सफलतापूर्वक पूरा किया गया।