देहरादून में हुआ नाबार्ड हस्तशिल्प मेले का आगाज़

उत्तरांचल प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में नाबार्ड के सीजीएम विनोद कुमार बिष्ट,एजीएम एचपी चंदेल और भारतीय ग्रामोत्थान संस्थान के निदेशक अनिल चंदोला ने बताया कि 1 से 8 नवम्बर तक नाबार्ड हस्तशिल्प मेले का आयोजन किया जा रहा है। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण, संस्थान निर्माण और विकासात्मक पहलों के माध्यम से प्रभावशाली हस्तक्षेप के 4 दशक पूरे कर लिए हैं। नाबार्ड ने कृषि – वित्त, बुनियादी ढांचे के विकास, बैंकिंग प्रौद्योगिकी, एसएचजी और जेएलजी, एफपीओ, ओएफपीओ और अन्य के माध्यम से माइक्रोफाइनेंस और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देकर भारतीय गांवों में जीवन बदल दिया है।
नाबार्ड की स्थापना के समय ही इसके मिशन स्टेटमेंट में गैर कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देना शामिल था। वैकल्पिक आजीविका विकल्पों को प्रोत्साहित करके कृषि आय पर ग्रामीण भारत की निर्भरता को कम करने की तत्काल आवश्यकता के संदर्भ में, यह क्षेत्र महत्वपूर्ण है।
इस क्षेत्र के विकास से कृषि क्षेत्र में आजीविका के अवसरों की तलाश में छोटे और सीमांत किसानों और कृषि श्रमिकों के शहरी क्षेत्रों में प्रवास (पलायन) को कम करने में भी मदद मिलती है। नाबार्ड ने गैर कृषि क्षेत्र के विकास के लिए कई प्रचार योजनाएं विकसित की हैं। नाबार्ड आधारभूत स्तर पर आवश्यकता के अनुसार, अपनी योजनाओं को बनाने, परिष्कृत और तर्कसंगत बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। उन कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित किया गया है जो कौशल के विकास को सक्षम बनाते हैं, विपणन के लिए अवसरों को बढ़ावा देते हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे, कुटीर और ग्रामीण उद्योगों, हथकरघा, हस्तशिल्प और अन्य ग्रामीण शिल्प और सेवा क्षेत्र के उत्पादकों के समूहों को बढ़ावा देते हैं।
नाबार्ड द्वारा गैर कृषि क्षेत्र में किए जा रहे कुछ मुख्य कार्य:
i. ग्रामीण गरीबों की पारिवारिक आय में सुधार के लिए स्थायी आजीविका गतिविधियों को बढ़ावा देना, अनुदान आधारित उत्पादों का विकास और क्षमता निर्माण करना।
ii. ऑफ-फार्म गतिविधियों तक ऋण की पहुंच और प्रवाह में सुधार करना।
हथकरघा, हस्तशिल्प, कौशल और उद्यम विकास, नवाचारों को बढ़ाने, बिज़नेस इनक्यूबेशन सेंटर, मार्केटिंग (ग्रामीण हाट, ग्रामीण मार्ट, प्रदर्शनियां, मेले आदि), चैनल की क्षमता निर्माण में ऑफ-फार्म उत्पादक संगठनों के विकास और प्रचार में सहयोग करना, ऑफ-फार्म सेक्टर में सेमिनार / कार्यशालाओं आदि के माध्यम से सूचना का प्रसार और सेक्टर विशिष्ट गतिविधियों का प्रचार-प्रसार ।
बेहतर विपणन अवसर प्रदान करने और विपणन गठजोड़ बनाने के उद्देश्य से, इस वर्ष भारतीय ग्रामोत्थान संस्था द्वारा नाबार्ड के सहयोग से 01 नवंबर से 08 नवंबर 2023 तक श्री गुरु नानक पब्लिक गर्ल्स इंटर कॉलेज, प्ले ग्राउंड, रेसकोर्स, देहरादून में नाबार्ड हस्तशिल्प मेला आयोजित किया गया है। जिसका उद्घाटन माननीय पूर्व राज्यपाल व पूर्व सी एम श्रीमान भगत सिंह कोश्यारी जी द्वारा किया गया, कोशियारी जी ने पुरे मेले का भ्रमण किया और भ्रमण के दौरान अध्यक्ष जी ने सभी हस्तशिल्पियों के काम की खूब तारीफ करी उनका उत्साह एवं आत्मविश्वास बढ़ाया, सभी उनसे मिलकर काफ़ी खुश दिखाई दिए | कोशियारी जी ने कहा कि हमारे देश के प्रधान मंत्री मोदी जी ने एक सूत्र यह वाक्य “वोकल फॉर लोकल” हस्तशिल्पियों के लिए दिया और उस दिन से आज हस्तशिल्पियों को एक नया मुकाम हासिल हुआ है और पूरी दुनिया में भारत के हस्तशिल्पियों का नाम रोशन हुआ है, उन्होंने यह भी कहा कि पर्यटक जिस भी पर्यटक स्थल पर जाए, वहाँ से हस्तशिल्प की एक वास्तु ज़रूर खरीद कर लेके जाय | इस बात का प्रभाव देश के साथ ही भारत से बाहर रह रहे विदेशो के पर्यटक भी आज भारत के समान मे रूचि लेने लग गए है, भगत जी ने आगे कहा कि देश भर के सभी हस्तशिल्प अपनी कला की जानकारी ऐसे मेलो के माध्यम से एक दूसरे से शेयर करते हैं ऐसे में हमारी कला को आगे बढ़ावा मिलता है | मेले के आयोजक श्रीमान अनिल चंदोला जी एवं श्रीमान अतुल चंदोला ने भी कोशियारी जी का स्वागत कर उनको सप्रेम भेट प्रदान करी |
उत्तराखंड राज्य सहित देश के विभिन्न हिस्सों से कारीगरों द्वारा अपने राज्य के प्रमुख हस्तशिल्प उत्पादों सहित हस्तशिल्प मेले में सहभागिता की गई है। नाबार्ड हस्तशिल्प मेले में 90-100 स्टॉल लगाए गए हैं। मेले में विभिन्न उत्पाद जैसे- कश्मीर का पश्मीना शाल, हिमाचल प्रदेश का गिलोय मिश्रित अचार तथा हिमाचली टोपी, झारखंड की जादोपटिया तथा सोहराय चित्रकारी, कर्नाटक बीड आभूषण, मध्यप्रदेश के बाग प्रिंट उत्पाद, पंजाब के फुलकारी सूट, राजस्थान के बागरु हैंड ब्लॉक प्रिंट, तेलंगाना के कढ़ाईगीरी उत्पाद, उत्तरप्रदेश के टेराकोटा तथा जूट उत्पाद, हरियाणा की जयपुरी रज़ाई तथा सुजनी आदि मुख्य आकर्षण के रूप में उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त मेले में उत्तराखंड के सभी जीआई (GI) उत्पाद यथा तेजपात, बासमती चावल, ऐपण, दन, मुन्श्यारी राजमा, रिंगाल, टमटा उत्पाद, थुलमा एवं च्यूरा से निर्मित सामग्री भी प्रदर्शित की जा रही है। मेले में प्रदर्शनी तथा बिक्री गतिविधियों के साथ ही सांस्कृतिक संध्या का भी आयोजन किया गया है, जिनमें भंवरी लोक संस्थान द्वारा राज्य के लोक नृत्य जौनसारी, गढ़वाली तथा कुमाऊँनी की प्रस्तुति की जाएगी। मेले में कई गणमान्य नागरिक तथा पदाधिकारी भी विभिन्न दिवस प्रतिभागिता करेंगे।

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