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प्रदर्शनकारी छात्राओं का कहना है की ये विद्या का मंदिर है. इतनी बड़ी संख्या मे नमाजियों का पहुंचने से इसकी पर पवित्रता भंग होती है. ये शक्ति प्रदर्शन है इसको सहन नहीं करेंगे|
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आज विरोध में छात्र हनुमान चालीसा का पाठ मस्जिद में करने पहुंचे गए. हालांकि पुलिस ने उन्हें रोक दिया. ऐसे में कॉलेज के मुख्य द्वार पर बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ किया| साथ मे विरोध प्रदर्शन भी किया. प्रदर्शनकारी छात्राओं का कहना है की ये विद्या का मंदिर है. इतनी बड़ी संख्या मे नमाजियों का पहुंचने से इसकी पर पवित्रता भंग होती है. ये शक्ति प्रदर्शन है इसको सहन नहीं करेंगे|
जानें पूरा मामला
उदय प्रताप कॉलेज को 2018 में एक नोटिस भेजा गया था जिसमें दावा किया गया था कि परिसर में स्थित मस्जिद और कॉलेज की जमीन टोंक के नवाब द्वारा वक्फ बोर्ड को दान की गई थी. प्राचार्य डीके सिंह ने हाल ही में बताया था कि इसी दावे के साथ कॉलेज परिसर को वक्फ की संपत्ति बताया गया था| उन्होंने कहा, ‘‘यह नोटिस वाराणसी निवासी वसीम अहमद खान की ओर से भेजा गया था. कॉलेज के तत्कालीन सचिव ने उसी समय नोटिस का जवाब दे दिया था जिसमें कहा था कि मस्जिद अवैध रूप से बनाई गई है, जबकि कॉलेज की संपत्ति न्यास की है, इसे न तो खरीदा जा सकता है और न ही बेचा जा सकता है|”
सिंह ने बताया कि बाद में 2022 में वक्फ बोर्ड द्वारा मस्जिद में निर्माण का प्रयास किया गया जिसे कॉलेज प्रशासन की शिकायत पर पुलिस ने रुकवा दिया| प्राचार्य ने आरोप लगाया कि कॉलेज के कनेक्शन से चोरी कर मस्जिद में बिजली का इस्तेमाल किया जा रहा था जिसे कटवा दिया गया|
कॉलेज का इतिहास
उदय प्रताप स्वायत्त कॉलेज की अवधारणा राजर्षि उदय प्रताप सिंह जुदेव ने इस क्षेत्र के समाज में मूल्यों का निर्माण करने के उद्देश्य से पेश की थी| इसकी शुरुआत उस समय हुई जब जुदेव ने 1909 में वाराणसी में हीवेट क्षत्रीय हाईस्कूल की स्थापना की जो 1921 में इंटरमीडिएट कॉलेज बन गया और इसका नाम उदय प्रताप इंटरमीडिएट कॉलेज कर दिया गया. इसके बाद, 1949 में यहां स्नातक कक्षाएं शुरू होने के साथ यह डिग्री कॉलेज हो गया| हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस कॉलेज के 115वीं स्थापना दिवस समारोह को संबोधित किया था|