युवाओं में बढ़ रही धूम्रपान की लत फेफड़ाें के कैंसर का प्रमुख कारण बन रहा है। आम तौर पर पहले 50 साल की उम्र के बाद फेफड़ों के कैंसर की आशंका रहती है लेकिन अब बड़ी संख्या में युवा भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। एम्स में प्रति माह लगभग 20-25 मामले फेफड़ों के कैंसर के आ रहे हैं। जिनमें युवा भी शामिल हैं।
एम्स में पल्मोनरी विभाग के डॉ. मयंक मिश्रा ने बताया कि धूम्रपान करना फेफड़ों के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के तंबाकू उत्पाद जैसे खैनी, गुटखा, सिगार आदि का सेवन और आनुवांशिक तौर से पारिवारिक इतिहास होने के कारण भी फेफड़ों का कैंसर हो सकता है। एम्स में प्रति माह लगभग 20-25 मामले लंग्स कैंसर के आ रहे हैं।
लक्षण
लंबे समय से खांसी-बलगम की शिकायत, खांसी में खून आना, सांस फूलना, सीने में दर्द, वजन का कम होना, चेहरे या गले में सूजन, आवाज बदल जाना, भूख कम लगना, लगातार थकान महसूस करना आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं।
टीबी और फेफड़े के कैंसर में अंतर
टीबी और फेफड़ों के कैंसर के कई लक्षण मिलते-जुलते हैं। यही सबसे बड़ी वजह है कि लोग इन दोनों बीमारियों के बीच में अंतर नहीं कर पाते और उनके लिए बीमारी का पता करना मुश्किल हो जाता है। डाॅ. मयंक ने बताया कि इसी के चलते कई बार लोग टीबी को फेफड़े का कैंसर और फेफड़े के कैंसर को टीबी मान लेते हैं। उन्होंने बताया कि दोनों बीमारियों में लंबे समय से चली आ रही खांसी, खांसी के साथ खून का निकलना, आवाज का भारी हो जाना आदि लक्षण समान तरह के हैं लेकिन दोनों की स्पष्ट पहचान आवश्यक जांचों के बाद ही हो पाती है।
शुक्रवार को होता है लंग क्लीनिक
डॉ. मयंक मिश्रा ने बताया कि लंग क्लीनिक प्रत्येक शुक्रवार को संचालित होता है। इस क्लीनिक में केवल वही मरीज देखे जाते हैं जिन्हें पल्मोनरी विभाग की जनरल ओपीडी से रेफर किया गया हो। इसलिए जरूरी है कि मरीज पहले पल्मोनरी की ओपीडी में अपनी जांच करवा ले। लंग क्लीनिक में पल्मोनरी विभाग के चिकित्सकों के अलावा, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी और रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के विशेषज्ञ चिकित्सक भी रोगी की जांच हेतु उपलब्ध रहते हैं। लंग कैंसर के रोगियों के लिए ब्रोंकोस्कोपी के माध्यम से बीमारी की अवस्था, निदान और इलाज की सुविधा भी उपलब्ध है।
– एम्स ऋषिकेश में लंग कैंसर के लिए स्पेशल क्लीनिक संचालित किया जा रहा है। इसके समुचित इलाज के लिए एम्स के पल्मोनरी विभाग में सभी तरह की आधुनिक मेडिकल सुविधाएं और विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम उपलब्ध हैं। – प्रो. मीनू सिंह, कार्यकारी निदेशक एम्स ऋषिकेश