यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने कहा कि उनका देश अमेरिका के साथ खनिज को लेकर समझौता करने के लिए राज़ी है.
ज़ेलेंस्की ने यह बात उस घटना के कुछ दिन बाद कही है जब उन्हें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से तीखी बहस होने पर व्हाइट हाउस से जाने के लिए कहा गया था.
इस समझौते के ब्योरे को लेकर अभी तक कुछ स्पष्ट नहीं है.
हालांकि ये साफ है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप यूक्रेन के उन क्रिटिकल मिनरल्स को लेकर समझौता करना चाहते हैं जो कि बैटरी और उच्च तकनीकी उत्पादों के निर्माण के लिए इस्तेमाल होता है. लेकिन जिन क्षेत्रों में ये खनिज हैं उनमें से कुछ फ़िलहाल रूस के कब्जे में हैं.
यूक्रेन के पास इलेक्ट्रिक वाहनों, मोबाइल और कंप्यूटर के लिए इस्तेमाल होने वाली बैटरियों को बनाने के लिए ज़रूरी लिथियम का भंडार हैं. हालांकि, यूक्रेन ने अभी तक इसमें से किसी का खनन नहीं किया है. अनुमान है कि अमेरिका के पास लिथियम का खुद का काफी बड़ा भंडार हैं
तो अमेरिका इसका अधिक खनन क्यों नहीं कर रहा.
यूक्रेन के जियोलॉजिकल सर्विस के अनुसार, देश के पास करीब पांच लाख टन लिथियम का भंडार मौजूद है और यूरोप में ये सबसे बड़ा है.
यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (यूएसजीएस) के 2021 में किए गए एक अनुमान के मुताबिक दुनियाभर में 71 मिलियन (सात करोड़ 10 लाख टन) टन लिथियम का भंडार था. अधिकतर लिथियम अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चिली और चीन से आता है. इसके बाद से अमेरिका और चीन में काफी बड़े लिथियम के भंडार मिले हैं.

लगभग तीन चौथाई खनन किए गए लिथियम का इस्तेमाल बैटरी के लिए होता है. ये बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों, मोबाइल और कंप्यूटर के लिए ज़रूरी है.
सोवियत यूनियन के अस्तित्व के दौरान हुए सर्वे के अनुसार मध्य यूक्रेन में स्थित पोलोखिवस्के और डोबरा में लिथियम भंडार हैं. वहीं, पूर्वी यूक्रेन के क्रूटा बाल्का क्षेत्र में भी लिथियम का भंडार हैं. इस पर फिलहाल रूस का कब्जा है.
हालांकि, ब्रिटेन के बर्मिंघम सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एलिमेंट्स एंड क्रिटिकल मैटेरियल्स के प्रोफ़ेसर पॉल एंडरसन कहते हैं, “कोई नहीं जानता कि यूक्रेन के खनिज भंडारों की जानकारी कितनी विश्वसनीय है और हो सकता है कि यूक्रेन ने इसको बढ़ा-चढ़ाकर बताया हो.”
अमेरिका के पास कितना लिथियम है?

यूएसजीएस ने 2021 में बताया था कि अमेरिका के पास करीब आठ करोड़ 30 लाख टन लिथियम का भंडार हो सकता है.
फिर पिछले साल अक्तूबर में सामने आया कि अर्कांसस में लिथियम का 4.5 मिलियन टन का भंडार मिला है.
अमेरिका में सिर्फ एक ही लिथियम की खदान सक्रिय है और वो नेवाडा के सिल्वर पीक में स्थित है. यहां पर लिथियम को साल्ट फ्लैट्स से निकाले गए खारे पानी से निकाला जाता है.
प्रोफ़ेसर एंडरसन कहते हैं कि, “अमेरिका में किसी ने भी बैटरी इंडस्ट्री के बढ़ने के बारे में नहीं सोचा था.”
यूएसजीएस ने कहा कि अमेरिका अपनी खपत का आधे से अधिक लिथियम आयात करता है. इसमें से अधिकतर चिली और अर्जेंटीना से आता है.
अमेरिका यूक्रेन से खनिज क्यों चाहता है?

चीन दावा करता है कि उसके पास दुनिया के लिथियम भंडार का 16.5 फ़ीसदी हिस्सा है. विश्लेषकों का कहना है कि वह दुनिया के कुल लिथियम का 60 प्रतिशत रिफाइन करता है और लिथियम आयन बैटरी की उत्पादन क्षमता का लगभग 75 प्रतिशत का नियंत्रण उसके पास है.
यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम के डॉक्टर गाविन हार्पर कहते हैं कि लिथियम बैटरी प्रोडक्शन में चीन काफी आगे है.
अमेरिकी सरकार चिंतित है कि लिथियम की सप्लाई और क्रिटिकल मिनरल्स पर चीन का दबदबा हो जाएगा तो उसे इस तक पहुँचने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा.
ये बात इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि लिथियम की मांग तेजी से बढ़ रही है. अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के मुताबिक 2023 में जितने लिथियम को ज़रूरत थी, उससे आठ गुना अधिक 2040 में होगी.
अमेरिकी सरकार खनन कंपनियों को घरेलू स्तर पर लिथियम के अधिक प्रोडक्शन के लिए बढ़ावा दे रही है. जो बाइडन के राष्ट्रपति रहने के दौरान पास हुए इन्फ्लेशन रिडक्शन एक्ट के तहत कंपनियों को लोन दिया जा रहा है.
प्रोफ़ेसर एंडरसन कहते हैं, “मैंने अमेरिका में जितने लोगों से बात की है, उससे साफ है कि वो मिलिट्री प्रोडक्शन के लिए क्रिटिकल मिनरल्स को किसी भी दूसरी चीज से अधिक चाहते हैं.”
उन्होंने कहा, “लेकिन लगता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यूक्रेन के रेयर अर्थ मिनरल्स में अधिक दिलचस्पी है.”
नए लिथियम के करीब 36 मिलियन टन का भंडार हाल ही में नेवाडा में मिला है और यहां 2026 में एक खदान खुलने वाली है.
यूक्रेन का लिथियम भंडार अमेरिका के लिए क्या उपयोगी साबित होगा?

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप चाहते हैं कि अमेरिका की पहुँच यूक्रेन के खनिजों तक हो क्योंकि उसने रूस के साथ जंग के दौरान उसकी सहायता की है.
प्रोफ़ेसर एंडरसन कहते हैं कि ये साफ नहीं है कि लिथियम और अन्य खनिजों की कीमत तब कितनी होगी जब उनके खनन की लागत को ध्यान में रखा जाएगा.
उन्होंने कहा, “इन भंडार की गुणवत्ता के बारे में नहीं पता है. अगर ये आर्थिक रूप से सही हो, लेकिन इन्हें चालू होने में एक दशक या उससे अधिक समय लग सकता है. इसके लिए बड़ी मात्रा में निवेश और पूंजी की आवश्यकता होगी.”
डॉ हॉर्पर कहते हैं, “यूक्रेन में खदान शुरू करना युद्ध और उससे हुई क्षति के कारण चुनौती वाला है.”
डीनिप्रो यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी की रिपोर्ट के मुताबिक लिथियम चट्टानों में मौजूद है, इसलिए इसे निकालना अपेक्षाकृत कठिन और महंगा है. वहीं, दूसरी ओर इसकी तुलना में ऑस्ट्रेलिया और चिली में मौजूद साल्ट फ्लैट्स में से लिथियम निकालना आसान है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस कारण से यह स्पष्ट नहीं है कि वह यूक्रेन से लिथियम निकालने के लिए भुगतान करेगा या नहीं.
कंपनियां इस कारण भी अभी लिथियम के खनन में निवेश नहीं कर रही क्योंकि इसकी कीमत में भारी गिरावट आई है. 2022 की तुलना कीमत 80 फ़ीसदी कम है. ऐसा इसकी सप्लाई अधिक होने के कारण है.
इससे यूक्रेन या दुनिया के अन्य हिस्सों में नई खदानें खोलने में कंपनियों की रुचि कम हो सकती है.
प्रोफ़ेसर एंडरसन कहते हैं, “मूल्य में गिरावट के बाद खनन कंपनियां कुछ वर्षों तक इंतजार करना चाह सकती हैं.”