श्यामपुर,ऋषिकेश।श्यामपुर न्याय पँचायत क्षेत्र की ग्राम सभा खदरी खड़क माफ स्थित खादर क्षेत्र में सौंग नदी की बाढ़ को आये हुए लगभग चार माह बीत गए हैं।लेकिन भारी बर्षात के बाद नदियों में आई भीषण बाढ़ के साथ बहकर आये खतरनाक जलीय जीव आज भी दिखाई दे रहे हैं।जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है।बुधवार की सुबह स्थानीय निवासी वन्यजीव युवा छायाकार अखिल भण्डारी जब नदी तट पर पक्षियों के फोटोशूट कर रहे थे तो अचानक उन्हें पक्षियों के चहचहाने की आवाज सुनाई दी तो वे सावधान होगये,तभी उनकी नजर गाँव की सीमा पर बने एलपीजी गैस गोदाम के समीप सौंग नदी के तटपर पत्थरों के बीच काली सी वस्तु पड़ी हुई दिखाई दी।उन्होंने कैमरा संभालते हुए जूम किया तो एक मगरमच्छ दिखाई दिया।जिसका चित्र उन्होंने कैमरे में कैद कर लिया।मगरमच्छ की सूचना पाकर मौके पर बच्चों सहित स्थानीयों की भीड़ लग गयी।पर्यावरण मामलों के जानकार शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रांत पर्यावरण प्रमुख और जिला गंगा सुरक्षा समिति के नामित सदस्य पर्यावरण विद विनोद जुगलान ने बताया कि वेद पुराणों में पतित पावनी माँ भगवती गंगाजी को मकरवाहिनी के नाम से जाना जाता है। यहाँ गंगाजी के वीरभद्र स्थित जलाशय में मगरमच्छ बहुतायत पाए जाते हैं।बीते अगस्त माह की बरसात में भारी वर्षा होने के परिणाम स्वरूप जल स्तर बृद्धि के कारण जलाशय से अतिरिक्त पानी छोड़े जाने के कारण बड़ी संख्या में मगरमच्छ सहित बड़े जलियजीव बह कर आगये जो जलस्तर घटने के साथ ही सहायक नदियों की ओर बढ़ गए हैं।इनसे स्थानीय लोगों को सचेत रहने की भी आवश्यकता है।गौरतलब है कि जुलाई से अगस्त माह के बीच राजकीय पॉलिटेक्निक संस्थान खदरी श्यामपुर के समीप भी मगरमच्छ की आमद लगातार बनी रही लेकिन जलस्तर घटते ही मगरमच्छ यहां से चला गया था।अब एक बार फिर से मगरमच्छ दिखने के बाद स्थानीय नदी नालों में खतरनाक जलीय जीवों के होने की पुष्टि हो चुकी है।वन्यजीव छायाकार अखिल भण्डारी का कहना है कि आसपास के क्षेत्र में नमामि गंगे योजना के तहत पौधरोपण एवं पर्यावरण संरक्षण से जैवविविधता के परिणाम दिख रहे हैं।यहां गंगा तट पर जलियजीवों में दुर्लभ डॉल्फिन सहित साईबेरियन पक्षी भी आने लगे हैं।