कहीं आपदा का संकेत तो नहीं लगातार बहता पानी

ऋषिकेश।ऋषिकेश -हरिद्वार बाईपास मार्ग के समीप लालपानी वन बीट स्थित अठूर भागीरथी स्वयं सहायता समूह द्वारा संचालित स्मृतिवन में अगस्त माह में अतिवृष्टि के कारण आयी भारी बाढ़ का पानी सूखने के नाम नहीं ले रहा है।परिणामस्वरूप विश्व बैंक पोषित अर्धनगरीय क्षेत्र के लिए विकसित की जारही पेयजल आपूर्ति परियोजना सहित स्मृतिवन को भारी नुकसान हो रहा है।यह जानकारी देते हुए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास उत्तराखंड प्रान्त के पर्यावरण प्रमुख और जिलाधिकारी देहरादून की अध्यक्षता में गठित जिला गंगा सुरक्षा समिति के नामित सदस्य पर्यावरण विद विनोद जुगलान ने कहा कि बीते अगस्त माह में भारी वर्षा के कारण लालपानी वनबीट क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से जल स्रोत फूट गए थे।जिनसे भारी मात्रा में पानी की जलधाराओं के कारण जलस्तर की वृद्धि होने से आसपास के क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति बन गयी थी।इस बाढ़ से न केवल मानव जीवन प्रभावित हुआ बल्कि प्रसाशन को भी बाढ़ आपदा से निपटने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी थी। चिंतन का विषय यह है कि चार माह बीत जाने के बावजूद भी पानी निरन्तर बह रहा है।जुगलान ने बताया कि बीते वर्षो में आबादी और आवासीय क्षेत्र में कई गुना बढ़ोत्तरी हुई है।परिणाम स्वरूप नए भवनों के निर्माण से क्षेत्र के आसपास जल निकासी के रास्ते बंद होगये हैं।इससे वन क्षेत्र में लगातार पानी एकत्र होने से भूतल जल स्तर में वृद्धि होने के परिणामस्वरूप हल्की सी बारिश होने पर बाढ़ की स्थिति बन जाती है।पर्यावरण मामलों के जानकार विनोद जुगलान का मानना है कि चार माह बीत जाने के बाद भी हमनें आपदा से सबक नहीं लिया है।अभी तक वर्षाजल निकासी के समुचित प्रबन्ध नहीं किये गए हैं।यहाँ स्मृतिवन में पौध रोपण के लिए आने वालों के लिए नगर निगम ऋषिकेश द्वारा बनाया गया संपर्क मार्ग जल निकासी के लिए खोदा गया था जो कि आज तक पुनः बनाया नहीं गया है।वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड जल संस्थान द्वारा अर्धनगरीय पेयजल योजना के अंतर्गतनिर्माणाधीन ओवरहेड टैंक के निर्माण सामग्री लेजाने के लिए जो सौर ऊर्जा बाड़ काटी गई थी उसका पुनर्निर्माण भी जल संस्थान द्वारा नहीं कराया गया है।परिणामस्वरूप यहाँ बारिश के जमा हुए जल में वन गूजरों की भैंसे दिन भर पड़ी रहती हैं।इससे स्मृतिवन को भारी नुकसान हो रहा है। स्मृतिवन तक जाने के लिए संपर्क मार्ग का निर्माण शीघ्र किया जाना चाहिए।साथ ही शीतकालीन वर्षा से पूर्व जल निकासी के प्रबन्ध किये जाने चाहियें ताकि भविष्य में बाढ़ आपदा का सामना न करना पड़े।हमें बीते अगस्त माह सहित पूर्व में आई प्राकृतिक आपदाओं से सीखने की जरूरत है।उन्होंने कहा कि क्या हमनें यह ठान लिया है कि हम आपदा आने के बाद ही जागेंगे उन्होंने स्मृतिवन में पशुओं से हो रहे नुकसान के लिए उत्तराखंड जल संस्थान को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि स्मृतिवन के क्षतिग्रस्त मुख्य द्वार के पुनर्निर्माण का जो विश्वास जल संस्थान के द्वारा दिया गया था,वह भी आजतक नहीं बनाया गया है परिणामस्वरूप स्मृतिवन में पोषित पेड़ों को जानवर नुकसान पहुंचा रहे हैं।सम्बंधित मामले की जानकारी जिला गंगा सुरक्षा समिति की बैठक में समिति अध्यक्ष जिलाधिकारी के संज्ञान में लायी जाएगी।

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