बांग्लादेश के संस्थापक शेख़ मुजीब के घर को प्रदर्शनकारियों ने पहले आग लगाई फिर उसे बुलडोज़र से गिरा दिया.
बांग्लादेश में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी है. देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के विरोधियों ने बुधवार की रात उनके पिता शेख़ मुजीबुर्रहमान के ढाका स्थित घर धानमंडी-32 में आग लगा दी और उसे ध्वस्त कर दिया.
प्रदर्शनकारियों ने बुधवार की रात और गुरुवार को तड़के देश भर में शेख़ हसीना की पार्टी अवामी लीग के नेताओं के घरों में भी तोड़फोड़ की और शेख़ मुजीबुर्रहमान के भित्ति चित्रों को विकृत कर दिया.
हिंसा भारत में मौजूद शेख़ हसीना के एक ऑनलाइन कार्यक्रम से ठीक पहले शुरू हुई. बांग्लादेश के प्रमुख अख़बार ‘द डेली स्टार’ ने लिखा है कि सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट के मुताबिक़ ये प्रदर्शन शेख़ हसीना की ‘बांग्लादेश विरोधी गतिविधियों’ की वजह से किया गया.
शेख़ हसीना के विरोधियों का कहना है वो भारत में बैठ कर बांग्लादेश विरोधी गतिविधियां चला रही हैं.
पिछले साल बांग्लादेश में छात्रों के हिंसक प्रदर्शन के बाद शेख़ हसीना को देश छोड़ना पड़ा था और वो 5 अगस्त को भारत आ गई थीं.
प्रदर्शनकारियों ने क्या किया

शेख़ हसीना की पार्टी की छात्र शाखा छात्र लीग ने एक ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसमें शेख़ हसीना को फेसबुक के जरिये बोलना था. कार्यक्रम के लिए रात नौ बजे का वक़्त तय किया गया था.
इस कार्यक्रम की भनक मिलते ही प्रदर्शनकारियों ने ‘बुलडोजर प्रदर्शन’ का आह्वान कर दिया. इसका समय भी रात नौ बजे रखा गया था.
लेकिन भेदभाव विरोधी आंदोलन के संयोजक हसनत अब्दुल्ला की अपील पर रात आठ बजे ही सैकड़ों प्रदर्शनकारी फावड़ा और हथौडे़ लेकर धानमंडी-32 में घुस आए.
‘द डेली स्टार’ ने चश्मदीदों के हवाले से कहा है कि उन्होंने वहां लगे शेख़ मुजीबुर्रहमान के भित्ति चित्रों को विकृत कर दिया.
अख़बार के मुताबिक़ रात साढ़े नौ बजे इस बिल्डिंग में आग लगा दी गई. और आधी रात के थोड़ी देर पहले एक क्रेन और एक खुदाई करने वाली मशीन वहां पहुंच गई. इसके बाद रात दो बजे के आसपास बिल्डिंग का एक हिस्सा गिरा दिया गया.
एक प्रदर्शनकारी ने बीबीसी से कहा कि वो लोग म्यूजियम में तब्दील कर दिए गए इस घर को इसलिए जला डालना चाहते थे क्योंकि ये ‘फासीवाद’ का प्रतीक बन गया था.
‘फासीवाद का प्रतीक था इसलिए तोड़ दिया’

हसनत अब्दुल्ला ने अपने फेसबुक पोस्ट में शेख़ मुजीबुर्रहमान के घर को ‘फासीवाद की पवित्र भूमि’ कहा और इसे ध्वस्त कर देने की अपील की.
एक छात्र महमुदुर्रहमान ने कहा कि ‘फासीवाद के प्रतीक’ इस घर को ध्वस्त करना जरूरी था इसलिए वो इस प्रदर्शन में शामिल हो गए.
एक और मोहम्मद आरफ़ीन का कहना था, ” इस घर को बचाए रखने की कोई जरूरत नहीं थी क्योंकि ये एक म्यूजियम था जिसकी संरक्षक शेख़ हसीना की सरकार थी. चूंकि हम छात्रों ने क्रांति के ज़रिये नई सरकार बनाई है इसलिए इसे ध्वस्त करने में कोई बुराई नहीं है.”
शेख़ मुजीबुर्रहमान को बांग्लादेश का संस्थापक कहा जाता है. 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश बना था. लेकिन 1975 में उनकी हत्या कर दी गई थी.
शेख़ हसीना के विरोधी उन पर देश में राजनीतिक हत्याएं करने और बड़े पैमाने पर मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाते हैं.
कहा जा रहा है धानमंडी-32 को ध्वस्त करने का काम अंतरिम सरकार की शह पर हुआ. लेकिन ढाका मेट्रोपोलिटन पुलिस के प्रवक्ता तालिबुर्रहमान का कहना है कि उसे इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि सरकार ने इसे ध्वस्त करने का आदेश दिया है.
प्रदर्शनकारियों के बीच मौजूद एक छात्र तोरिकुल इस्लाम का कहना है कि सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को रोका. लेकिन जब वो तोड़फोड़ कर रहे थे तो उसने कोई कदम नहीं उठाया. सेना के लोग पेट्रोलिंग कर रहे थे लेकिन वो छात्रों से सिर्फ बात कर रहे थे.
अवामी लीग नेताओं के घर तोड़े गए

धानमंडी-32 को जलाने के अलावा देश के अलग-अलग हिस्सों में शेख़ हसीना की पार्टी अवामी लीग के नेताओं के घरों को भी तोड़ा गया है.
बुधवार को प्रदर्शकारियों ने शेख़ हसीना के रिश्तेदार और अवामी लीग के नेता शेख़ हिलालुद्दीन और शेख़ ज्वेल के खुलना स्थित घरों को भी ध्वस्त कर दिया. इन घरों को ठीक उसी समय ध्वस्त किया गया जब धानमंडी-32 में आग लगाई जा रही थी.
डेली स्टार के मुताबिक़ सैकड़ों प्रदर्शकारी उनके घरों के आगे ढाका या दिल्ली ढाका, ढाका और मुजीबवाद मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे.
कुस्तिया में पूर्व सांसद और अवामी लीग के संयुक्त महासचिव महबूब आलम हनीफ और कुस्तिया में अवामी लीग के अध्यक्ष सदर खान के घर भी गिरा दिए गए
चटगांव में प्रदर्शनकारियों ने शेख़ हसीना के ऑनलाइन भाषण के विरोध में मशाल जुलूस निकाला. उन्होंने चटगांव मेडिकल कॉलेज और जमाल ख़ान इलाके में लगे शेख़ मुजीबुर्रहमान के भित्ति चित्रों को विकृत कर दिया.
सिलहट में भी प्रदर्शनकारियों ने जुलूस निकाला. रंगपुर में रोकेया यूनिवर्सिटी में लगे शेख़ मुजीबुर्रहमान के भित्ति चित्रों को खराब किया गया. मेमनसिंह, बारीशाल, रंगपुर में भी अवामी लीग के नेताओं के घर तोड़े गए और शेख़ मुजीबुर्रहमान के भित्ति चित्रों को खराब किया गया.
शेख़ हसीना बोलीं, ‘इमारत ध्वस्त कर सकते हैं इतिहास नहीं मिटा सकते’

शेख़ हसीना धानमंडी-32 को जलाने की घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
उन्होंने प्रदर्शनकारियों की कार्रवाई का हवाला देते हुए कहा,” वो चंद बुलडोजरों से देश की आजादी के खात्मे की ताकत नहीं रखते. वो एक इमारत को ध्वस्त कर सकते हैं लेकन इतिहास को नहीं मिटा सकते.
उनकी स्पीच बांग्लादेश अवामी लीग के फेसबुक पेज के जरिये प्रसारित की गई.
उन्होंने धानमंडी-32 में शेख़ मुजीब और बांग्लादेश के स्वतंत्रता आंदोलन की यादों का ज़िक्र करते हुए कहा, “उस घर को क्यों तोड़ा जा रहा है? इसे जिसने भी गिराया हो लेकिन मैं इस देश के लोगों से इंसाफ़ की मांग करती हूं.”
अवामी लीग के फेसबुक पेज पर कहा गया था कि शेख़ हसीना बुधवार की रात नौ बजे लाइव प्रोग्राम में छात्रों को संबोधित करेंगीं.
बुधवार को शेख़ हसीना की सरकार के पतन के छह महीने पूरे हो गए थे.
‘शेख़ हसीना की राजनीतिक गतिविधियों के लिए भारत जिम्मेदार होगा’

पिछले साल 5 अगस्त से ही भारत में रह रही शेख़ हसीना के प्रत्यर्पण के लिए बांग्लादेश लगातार दबाव बना रहा है.
अंतरिम सरकार ने भारत से उन्हें वापस भेजने की मांग की है. लेकिन भारत ने इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है.
अंतरिम सरकार में शामिल लोगों का कहना है कि भारत शेख़ हसीना को पनाह दिए हुए है. वो लेकिन वो वहां से लगातार बांग्लादेश विरोधी गतिविधियां चला रही है.
दो दिन पहले अंतरिम सरकार में सूचना और प्रसारण सलाहकार नाहिद इस्लाम ने कहा कि अगर भारत ने शेख़ हसीना को अपने यहां से राजनीतिक गतिविधियां चलाने की इज़ाजत दी इसके लिए वही जिम्मेदार होगा.
नाहिद ने कहा,” भारत ने शेख़ हसीना को शरण दी है और इसके पीछे उसके पास कोई न कोई वजह है. हमने भारत से शेख़ हसीना को वापस भेजने को कहा है. यह कूटनीतिक मामला है. लेकिन शेख़ हसीना अगर वहां से राजनीति करती हैं. भारत में राजनीतिक बैठकें करती हैं तो इसके लिए भारत जिम्मेदार होगा.”
अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने अपनी सरकार के 100 दिन पूरे होने पर एक टेलीविजन प्रसारण में कहा था कि वो चाहेंगे कि शेख़ हसीना को बांग्लादेश लाया जाए.
उन्होंने कहा था कि अंतरिम सरकार छात्र आंदोलन के दौरान हिंसा में हुई मौतों की जिम्मेदार शेख हसीना और दूसरे लोगों के ख़िलाफ़ मुकदमा चलाएगी.
इस बीच, भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में तनाव भी दिखा है. हालांकि दोनों देशों ने एक दूसरे के साथ बेहतर संबंधों के प्रतिबद्धता जताई है.