तपोवन – उत्तराखंड के हस्तशिल्प कारीगरों और उद्यमियों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से ऋषिकेश नेचुरल फाइबर हैंडीक्राफ्ट्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड द्वारा आयोजित छह दिवसीय उद्यमिता विकास कार्यक्रम (EDP) का सफल समापन हो गया। यह कार्यक्रम विकास आयुक्त (हस्तशिल्प), वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से आयोजित किया गया था।
3 से 8 फरवरी, 2025 तक चले इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में कारीगरों को व्यवसाय विकास, विपणन रणनीतियाँ, वित्तीय प्रबंधन और हस्तशिल्प नवाचार जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर प्रशिक्षित किया गया। कार्यक्रम के अंतिम दिन समापन समारोह आयोजित किया गया, जिसमें विभिन्न उद्योग विशेषज्ञों और सरकारी अधिकारियों की उपस्थिति में 20 कारीगरों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए।
समारोह में लॉजिस्टिक्स विशेषज्ञ श्री शावेज बख्श, भारत सरकार के EPCH (निर्यात संवर्धन परिषद) के श्री गोपाल शर्मा, भारत सरकार के होम्योपैथिक विभाग के निजी अधिकारी निदेशक श्री सुनील सिंह जीना सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। इस अवसर पर प्रोड्यूसर कंपनी के निदेशक श्री अनिल चंदोला ने कहा, “हस्तशिल्प को संरक्षित रखने और आधुनिक व्यापार तकनीकों को अपनाने से कारीगरों को नए बाजारों तक पहुंचने का अवसर मिलेगा।”
डॉल्फिन पीजी इंस्टीट्यूट, देहरादून के अध्यक्ष श्री अरविंद गुप्ता ने भी कार्यक्रम में उपस्थित थे उन्होंने कहा, “ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम कारीगरों के लिए एक सुनहरा अवसर हैं, जो उनके व्यवसाय को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं।”
अंतरराष्ट्रीय व्यापार की ओर बढ़ा एक कदम
इस कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के अवसरों पर भी चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने निर्यात दस्तावेजीकरण, व्यापार नीतियाँ, सीमा शुल्क निकासी, निर्यात वित्तपोषण और जोखिम प्रबंधन जैसे विषयों की जानकारी दी, जिससे कारीगरों को अपने उत्पादों को वैश्विक बाजार में उतारने में मदद मिलेगी।
कारीगरों के लिए सुनहरा अवसर
कार्यक्रम के प्रतिभागियों ने बताया कि इस प्रशिक्षण से उन्हें अपने व्यवसाय को पेशेवर रूप से आगे बढ़ाने में मदद मिली है। अब वे अपने उत्पादों को बड़े बाजारों में बेहतर रणनीति के साथ प्रस्तुत कर सकते हैं।
ऋषिकेश नेचुरल फाइबर हैंडीक्राफ्ट्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड ने बताया कि भविष्य में भी इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, ताकि उत्तराखंड के हस्तशिल्प उद्योग को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिल सके।