चंपावत: भारतीय ग्रामोत्थान संस्था द्वारा उत्तराखंड के प्राकृतिक रेशों और जूट के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से दो दिवसीय प्रदर्शनी एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम 25 और 26 फरवरी 2025 को चंपावत के विभिन्न स्थानों पर संपन्न हुआ।
मंगलवार, 25 फरवरी 2025 को चंपावत के खर्क कार्की में पहली प्रदर्शनी आयोजित की गई, जबकि बुधवार, 26 फरवरी 2025 को बालेश्वर मंदिर, चंपावत में दूसरी प्रदर्शनी लगाई गई। इस प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड के पारंपरिक प्राकृतिक रेशों और जूट से बने उत्पादों का प्रचार-प्रसार करना था। साथ ही, हस्तशिल्प से जुड़े कारीगरों को प्रोत्साहन देने और उनके उत्पादों को व्यापक बाजार उपलब्ध कराने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण प्रयास था।
इस कार्यक्रम के माध्यम से स्थानीय हस्तशिल्प कारीगरों को अपने उत्पादों के प्रदर्शन का अवसर मिला। प्रदर्शनी में जूट और अन्य प्राकृतिक रेशों से निर्मित उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदर्शित की गई, जिनमें हस्तनिर्मित बैग, चटाइयां, परिधान, सजावटी वस्तुएं और घरेलू उपयोग की अन्य चीजें शामिल थीं। लोगों ने इन उत्पादों में गहरी रुचि दिखाई और स्थानीय कारीगरों के कार्यों की सराहना की।
प्रदर्शनी के समापन के उपरांत, एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें प्राकृतिक रेशों के महत्व, उनके उपयोग, तथा पर्यावरण संरक्षण में उनकी भूमिका पर विस्तार से चर्चा की गई। इसके अलावा, एक प्रयोगात्मक बाजार सर्वेक्षण भी किया गया, जिसमें स्थानीय बाजार में इन उत्पादों की मांग और ग्राहकों की पसंद को समझने का प्रयास किया गया।
इस पूरे कार्यक्रम का संचालन भारतीय ग्रामोत्थान संस्था के प्रभारी अनिल चंदोला के नेतृत्व में किया गया। उनके साथ संस्था के सहयोगी और हस्तशिल्प विशेषज्ञ रामसेवक रतूड़ी और हीरालाल भी उपस्थित रहे। उन्होंने प्रतिभागियों को प्राकृतिक रेशों की उपयोगिता, उनकी उत्पादन प्रक्रिया और उनके विपणन के तरीकों की जानकारी दी।
इस आयोजन से स्थानीय लोगों में प्राकृतिक रेशों और हस्तशिल्प उत्पादों के प्रति जागरूकता बढ़ी। कई लोगों ने इन उत्पादों को अपनाने और पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली की ओर बढ़ने का संकल्प लिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में स्थानीय प्रशासन, ग्रामवासियों और कारीगरों का भरपूर सहयोग मिला।